Chhath puja 2022 kab hai: जानिए छठ पूजा महापर्व नहाय खाय, खरना की तिथि, व्रत कथा व पूजन विधि

Chhath puja 2022आज हम बात करेंगे छठ पूजा के बारे में। छठ महापर्व भारत का एक बड़ा त्यौहार है। इस बडे महापर्व को लेकर सभी के मन में बहुत से सवाल रहते हैं।  आज हम जानेंगे कि 2022 me chhath puja kab hai और  छठ पूजा कैसे करते हैं, छठ पूजा की कथा, छठ व्रत के नियम और सम्पूर्ण पूजन विधि। 

छठ पूजा व्रत और पूजन विधि बहुत ही अलग है। यही कारण है कि लोगों को इसके संपूर्ण नियम नही पता होते हैं और वह जानना चाहते हैं कि Chhath puja kaise karte hai. इसीलिए आज हम आपको छठ पूजा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं - 

2022 में छठ पूजा कब है- Chhath puja 2022 Date 

2021 में छठ महापर्व 30 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। चूंकि यह चार दिवसीय पर्व होता है अतः इसकी महत्वपूर्ण तिथियां इस प्रकार हैं -
  1.  नहाय खाय                   -   28 नवंबर 2022 
  2.  खरना व्रत ( डाला छठ )   -   29 नवंबर 2022 
  3.  सांध्यकाल अर्ध्य             -   30 नवंबर 2022 
  4.  सूर्योदय अर्ध्य                 - 31 नवंबर 2022 

छठ पूजा - Chhath Puja 2022

Chhath puja 2022- छठ पूजा व्रत कथा व पूजन विधि


छठ पूजा भारत का एक बड़ा त्योहार है। इसे छठ महापर्व भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। यह त्योहार चतुर्थी से सप्तमी तक चार दिनों तक मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है । इस कारण इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। 

यह त्योहार यूँ तो पूरे भारत मे मनाते हैं लेकिन उत्तर भारत मे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में यह पर्व बड़े स्तर पर मनाया जाता है।

इस व्रत में माता छठी की पूजा होती है। वेदों के अनुसार भगवान सूर्यदेव की पत्नी उषा को छठी माता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि छठी माता बच्चों की हर मुसीबत से रक्षा करती है और  निसंतानों को संतान प्रदान करती है। इस कारण लोग संतान प्राप्ति और संतान सुख की कामना के लिए यह व्रत रखते हैं। 

इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती हैं। जल अर्पित कर उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। क्योंकि भगवान सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। उनकी कृपा से ही पृथ्वी पर अनाज होता है, मौसम बदलता है। उनके ही कारण पृथ्वी पर वर्षा होती है। 

इस पूजा के द्वारा श्रद्धालु इन सब बातों के लिए उनका धन्यवाद करते है और उन पर अपनी अटूट श्रद्धा दर्शाते हैं।



छठ पूजा की मान्यता

भगवान सूर्य और माता छठी को प्रसन्न करने के लिए इस पूजा को स्त्री और पुरुष दोनों करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसकी शुरुआत रामायण काल से प्रारंभ हुई। माता सीता ने भी यह व्रत किया था। इस व्रत में गंगा स्नान और और सूर्य को अर्ध्य देने का विधान है। 

कहते हैं कि महाभारत के समय पांडव माता कुंती ने इस व्रत को किया था। जिसके फलस्वरूप सूर्यदेव ने उन्हें कर्ण को पुत्र रूप में प्रदान किया था। 

यह कथा भी प्रचलित है जब पांडव वनवास में थे तो द्रौपदी ने इस व्रत को किया था। जिसके फलस्वरूप उन्हें उनका राजपाट वापस मिल गया था।

छठ पूजा व्रत कथा

 छठ पूजा की व्रत कथा कुछ इस प्रकार है -

प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। विवाह के कई वर्षों के बाद उन दोनों के कोई संतान नही हुई। दोनों ने कई पूजा अनुष्ठान  किये लेकिन कोई लाभ न हुआ। 

एक दिन उन्होंने महर्षि कश्यप के द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गयी। नौ महीने बाद उनके गर्भ से मारे हुए पुत्र ने जन्म लिया। राजा-रानी दोनों इस दुख से व्याकुल हो उठे।
 
उन्हीने अपना जीवन समाप्त करने का निश्चय कर लिया। जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की वहां एक देवी प्रकट हुई।
उन्होंने राजा से कहा- मैं देवी षष्ठी हूँ, मैं लोगों को संतान का सौभाग्य प्रदान करती हूं और उनकी रक्षा करती हूं। जो भी मेरे व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करेगा उसके सभी मनोरथ मैं पूर्ण करूँगी। 

राजा-रानी ने सारे विधि विधान से माता छठी की पूजा और व्रत किया और उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा ने हर वर्ष इस व्रत को करने का प्रण लिया। तभी से इस छठ पर्व को मनाया जाने लगा। कहा जाता है कि इसे माता सीता और द्रौपदी ने भी किया था।


Chhath Puja 2022 - छठ पूजा 


छठ व्रत और पूजन विधि

छठ महापर्व को चार दिनों तक मनाया जाता है। यह एक चार दिवसीय पर्व है। इसमे हर दिन का अपना एक अलग महत्व है। हर दिन के लिए अपने अलग नियम हैं। आइये जानते हैं छठ व्रत और पूजन विधि -

पहला दिन - "नहाय खाय"

छठ पर्व का प्रारम्भ  छठ से दो दिन पूर्व चतुर्थी से प्रारम्भ हो जाता है। चतुर्थी तिथि यानी पहले दिन को 'नहाय खाय ' के रूप में मनाते हैं। 'नहाय' का अर्थ है स्नान करना और खाय का अर्थ है भोजन करना। इस दिन लोग गंगा जल से स्नान करते हैं। उसके बाद मिट्टी के चूल्हे पर भोजन बनाया जाता है। इस भोजन से भगवान को भोग लगाने के बाद भोजन किया जाता है। 

दूसरा दिन - खरना व्रत

उसके अगले दिन  यानि पंचमी को 'खरना व्रत' का विधान है। इस दिन पूरे दिन उपवास रखा जाता है। तरह तरह के पकवान जैसे - गुझिया, खीर-पूरी और ठेकुआ आदि बनाये जाते हैं। पूरे दिन उपवास रहने के बाद शाम को सूर्य पूजन करने के बाद भोजन किया जाता है। भोजन करने के बाद 36 घंटे तक निर्जला व्रत का संकल्प लिया जाता है।

तीसरा दिन  - संध्याकाल अर्ध्य

तीसरे दिन निर्जला व्रत का पालन करते हुए संध्या काल मे नदी या तालाब में स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित (अर्ध्य) किया जाता है।  अर्ध्य देने के दौरान बांस की बने सूप (टोकरी)  में फल जैसे - मौसमी, अमरूद,  केला,कटहल,कद्दू,गन्ना,नारियल आदि लेकर अस्त होते सूर्य की ओर कर के टोकरी को तीन बार जल से स्पर्श कराते हैं। 

चौथा दिन - सूर्योदय अर्ध्य

अगले दिन अर्थात षष्टी को सुबह सूर्योदय से पहले लोग घाट पर इकट्ठा हो जाते हैं और सूर्य के उदय होने की प्रतीक्षा करते है। 
इस सुबह इस मंत्र का सात बार उच्चारण करें।

ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।

सूर्य के उदय होते ही सूर्य देवता को अर्ध्य देते है। अपने प्रसाद की टोकरी को संध्या की भांति तीन बार जल से स्पर्श करते है। प्रसाद पर लोटे से कच्चे दूध का अभिषेक करें। 

इसके बाद व्रती घाट के ऊपर आकर माता छठी की कथा सुनते है। और और अपने सामर्थ्य अनुसार घाट और पड़ोस में प्रसाद का वितरण करते है। यही आपके इस व्रत का समापन होता है।


छठ व्रत के नियम

किसी भी पूजा अनुष्ठान को यदि पूर्ण श्रद्धा और सही नियमानुसार न किया जाए तो हमे इसका फल नही मिलता। यह वे छठ पूजा व्रत के नियम है जिनका ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

1 - चतुर्थी को नहाय-खाय के बाद से मांस-मदिरा,बीड़ी, सिगरेट व अन्य तामसिक चीज़ों को खाना और घर मे लाना अपशगुन माना जाता है। 

2 - घर मे इन चार दिनों तक सात्विक भोजन जैसे - फल, दही, दूध, गुड़ चना, खीर, पूरी सब्जी आदि ही बनना चाहिए। लहसुन और प्याज़ का सेवन बिल्कुल न करें।

3 - छठ के तीन दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। 

4 - कोशिश करें इन तीन दिन जमीन पर या चटाई पर सोएं। छठ व्रत की पूरी प्रक्रिया के दौरान बिस्तर पर सोना वर्जित है। 

5 - रसोई आदि में भोजन न करें। वहां तो बिल्कुल भी नही जहाँ पूजा का प्रसाद बनता है।

6 - इन दिनों नए वस्त्र धारण करे यदि नए वस्त्र न हो तो साफ सुथरे वस्त्र धारण कर सकते हैं।

7 - किसी के प्रति मन मे द्वेष और ईर्ष्या की भावना न लाएं। किसी भी नकारात्मक विचारों को अपने मन मे न आने दें। अपने मन को साफ रखें।

8 - सूर्य देवता को अर्ध्य देतव समय लोहे , पीतल अथवा तांबे के बर्तन से अर्ध्य दें। स्टील या प्लास्टिक के बर्तन कभी ना इस्तेमाल करें।

छठ पूजा में क्या क्या सामान लगता है ? 

छठ पूजन सामग्री

क्योकि छठ पूजा की पूजन विधि में कई नियम होते हैं इसीलिए लोगों को इससे जुड़े कई सवाल आते रहते हैं। ऐसे में लोगों के मन मे यह प्रश्न भी आता है कि छठ की पूजा में कौन कौन सा सामान लगता है। क्योकि यह चार दिवसीय पर्व है इसीलिए इसके सभी नियमो का पालन करना महत्वपूर्ण है। छठ व्रत के पहले ही आपको यह सारी सामग्री इकट्ठा करके अपने पास रखनी होगी। 

इस पूजन विधि में निम्नलिखित कई तरह के समान लगते हैं - 

■  नए वस्त्र - पुरुष हल्के व सुविधाजनक कपड़े जैसे धोती कुर्ता या कुर्ता पायजामा आदि, स्त्रियां  साड़ी या सूट जैसे वस्त्र 

■  एक थाली, लोटा या कलश अर्ध्य देने के लिए

■  बांस की दो टोकरियां प्रसाद रखने के लिए

■  बांस या पीतल के बने दो सूप 

■  चावल,पीला या लाल सिंदूर,

■  धूप या अगरबत्ती और कपूर

■  पान के पत्ते और सुपारी

■  कुमकुम और चंदन

■  गेहूं और चावल का आटा और गुड़

■  हल्दी,अदरक,शलगम और मूली फल और पत्तों समेत,

■  फलों में - केला, नाशपाती, बड़ा वाला नींबू, शरीफा, शकरकंद, गन्ने (पत्तों समेत), नारियल, शरीफा, 

■  मिठाई के रूप में - खीर पूरी, हलवा, ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लडडू, नारियल के लडडू 


◆◆◆   यह छठ पूजा में लगने वाली सम्पूर्ण सामग्री है। इसका मतलब यह नही है कि आपको सारे फल और मिठाई लेनी है। आप अपनी सामर्थ्य अनुसार इसे खरीदें। 



छठ व्रती लगाती हैं लंबा पीला सिंदूर




छठ पूजा में महिलाएं क्यों लगाती हैं पीला- लंबा सिंदूर

सिंदूर भारतीय संस्कृति की स्त्री का अहम गहना हैं। छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर पूरी मांग तक सिंदूर लगाती हैं। लम्बा पीला सिंदूर लगाने के पीछे एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण है । ऐसी मान्यता है कि जो स्त्री जितना लंबा सिंदूर लगाती है उसके सुहाग की आयु उतनी ही अधिक लंबी होती है। सिंदूर को स्त्री का सबसे बड़ा गहना कहा जाता है।


आज आपने जाना


हां तो दोस्तों आज हमने जाना कि छठ पूजा कैसे करते हैं, छठ पूजा व्रत कथा, छठ व्रत के नियम और सम्पूर्ण पूजन विधि। इसके अलावा आज हमने जाना कि छठ पूजा में क्या क्या सामान लगता है । हमारा यह प्रयास रहा है कि आपको इस छठ महापर्व से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध करा सकें और सभी जानकारियों को सरल और सुव्यवस्थित तरीके से आप तक पहुंचा सकें।

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धन्यवाद!

आपका दिन शुभ हो!

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